राजकली

 

राजकली उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव तोमार पुरवा में रहती हैं, जो राज्य की राजधानी लखनऊ से करीब 120 किलोमीटर दूर है। उनकी शादी के 40 साल बाद 2016 में उनके पति बीमारी के शिकार हो कर गुजर गए, हमारी उनसे बात करने के कुछ ही हफ़्ते पहले। राजकली के आठ बच्चे हैं। उनके तीन बेटे शादी-शुदा हैं और अपने परिवार के साथ उनके साथ ही रहते हैं। बीस लोगों से ज़्यादा का ये संयुक्त परिवार चार कमरों के एक अधपक्के घर में रहता है। हर कमरा लगभग 100 स्क्वायरफीट का है जिसमें 5-6 लोग ज़मीन पर से सकते हैं।

राजकली की आमदनी उनके एक-तिहाई एकड़ खेत से और एक छोटी सी परचून की दुकान से आती है। अपनी दुकान में वह बिस्किट, किराने का सामान, पेन, पेन्सिल, केले और नाश्ते का सामान बेचती हैं। दुकान के लिए पैकेज्ड सामान वह डिस्ट्रिब्यूटर्स से खरीदती हैं, और फल और सब्जियां 6-7 किलोमीटर दूर एक बाज़ार से। बाज़ार जाने के लिए वह सड़क तक 10-15 मिनट पैदल जाती हैं और फिर एक बस पकड़ती हैं।

उनकी दुकान के सामने एक खाट रखी है जिसका इस्तेमाल उनके परिवार का कोई व्यक्ति रात में सोने के लिए कर लेता है। हमारे साथी जो उनसे बात कर रहे थे उनके अनुसार रहने, सोने या कम करने की जगह में कोई फर्क नहीं किया जाता। जहां भी जगह हो लोग सो जाते हैं।

पास में एक ईंटे की भट्टी है जिनको ईंटे लाने-ले जाने के लिए राजकली अपने जानवर किराये पर देती हैं। उनके बेटे खेतों में काम करने के अलावा गांव में और छोटे-मोटे काम भी करते हैं। एक ट्रैक्टर चलाता है, और एक ईंटे की भट्टी में काम करता है। उनका सबसे छोटे बेटा उनके साथ नहीं रहता। वह दिल्ली में एक हेलमेट की फैक्ट्री में काम करता है।

राजकली का कहना है कि हंस फ्री इलेक्ट्रिक™ बाइक से उन्हें शाम के समय बहुत फायदा होता है। उसकी रोशनी में बच्चे पढ़ सकते हैं और बड़े लोगों के लिए खााना बनाना और दूसरे घरेलू काम आसान हो जाते हैं। बाइक से वह एक पोर्टेबल लाइट भी चार्ज करती हैं, जिससे अंधेरा गिरने के बाद भी वह अपनी दुकान खुली रख सकती हैं।

राजकली की पोर्टेबल लाइट वाली बात से स्टेज 2 के इंजिनीयरों को हंस फ्री इलेक्ट्रिक™ की बैट्री को एक पोर्टेबल पावरपैक बनाने की प्रेरणा मिली जिसमें लाइट लगी हुई है और दूसरे उपकरणों को चार्ज करने के लिए आउटलेट भी हैं।

बाइक मिलने के पहले राजकली के घर में हर 2-3 दिन में एक लिटर केरोसीन का खर्चा था। यानि कि महीने के 10-15 लिटर। उनके पड़ोंसी जे केरोसीन नहीं खरीद सकते, मिट्टी के दीयों या कभी-कभी मोमबत्ती का इस्तेमाल करते हैं।

राजकली, उनकी नई बहू और उनके पोते-पोतियां मिलकर दिन में 60-90 मिनट तक बाइक चलाते हैं। बच्चों को बाइक चलाना खेल जैसा लगता है और वे शौक से इसे चलाते हैं।