राजकुमारी

राजकुमारी उत्तर प्रदेश के बरतला गांव में रहती हैं और एक दुकान चलाती हैं। उनके पांच बच्चे हैं, जिनमें से तीन उनके और उनके पति के साथ रहते हैं। उनके सभी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़े हैं। बड़ी बेटी ने शादी के पहले बारहवीं तक की पढ़ाई की थी। उनका बड़ा बेटा आई टी आई का तीन सालों का कोर्स कर रहा है। अपने स्वयं सहायता समूह ले लोन लेकर वह अपने बेटे की पढ़ाई का खर्चा उठा रही हैं।

राजकुमारी के पिता कोयले की खदान में काम करते थे। उनकी पढ़ाई आठवीं कक्षा तक हुई, जिसके बाद चौदह साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। 25 साल पहले फेफड़े की बीमारी से उनके पिताजी की मौत को हो गई थी। उनकी मौत के बाद उनकी मां को पैसे की काफी दिक्कत हुई। राजकुमारी की शादी के बाद अपने पति के साथ उन्होंने अपने परिवार की काफी सहायता की। लेकिन हमेशा के लिए नहीं कर सकते थे। अब उनके भाई के ऊपर यह ज़िम्मेदारी है। लेकिन वह अपने पिता की तरह नौकरी नहीं ढूंढ़ पाया और दिहाड़ी मजदूर का तरह काम करता है।

राजकुमारी और उनके पति को बिज़नेस की काफी अच्छी समझ है और उन्होंने आमदनी के कई जरिए ढूंढ़ निकाले हैं। उनके पास दो एकड़ से थोड़ी कम ज़मीन है, जो कि उस इलाके के किसानों के हिसाब से काफी ज़्यादा है। इस पर वे खेती करते हैं। उनके पति अपनी साइकिल पर सब्जियां बेचते हैं जिससे 100-200 रुपये रोज़ की आमदनी हो जाती है। राजकली अपने घर से जो दुकान चलाती है उससे भी 40-50 रुपये रोज़ की कमाई होती है। इस दुकान से पहले उन्होंने पी. सी. ओ. चलाया था, लेकिन मोबाइल फोन आने के बाद उन्हें यह बंद करना पड़ा। अब करीब दस सालों से पह ये दुकान चला रही हैं।

राजकुमारी के घर में बिजली का कनेक्शन है लेकिन बिजली हमेशा आती नहीं है। वह बाइक का इस्तेमाल अपनी दुकान के लिए बल्ब जलानो और अपना मोबाइल चार्ज करने में करती हैं। ग्राहकों का इंतज़ार करते खाली समय में वह बाइक पैडल करती हैं। पहले उन्हें शाम घिरते ही दुकान बंद करनी पड़ती थी, लेकिन अब वह देर तक उसे खुला रख सकती हैं। बाइक की रोशनी से उन्हें केरोसील लैम्प का खतरा भी नहीं है। कुछ दिन पहले उनकी दुकान में केरोसीन लैम्प से आग लग गई थी। उन्हें तो चोट नहीं आई, लेकिन दुकान का काफी सामान जल गया था, जिसका नुक्सान अभी तक पूरा नहीं हुआ है।